आज दिल्ली ने अपना फैसला सुना दिया। एक ऐसा फैसला जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी, जितने वाला दल आम आदमी पार्टी को भी नहीं। इस चुनाव के नतीजों का विश्लेषण देश के धुरंधर विश्लेषक आने वाले कई दिनों तक करते रहेंगे। इन नतीजों को केंद्र की मोदी सरकार के काम काज से जोड़ा जायेगा जैसा की अभी अन्ना हज़ारे ने इसे मोदी के ऊपर लोगों का अविश्वास बता दिया। उन्होंने कहा की जो आश्वासन बीजेपी ने दिए उनका पालन नहीं किया, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई के दावे झूठे निकले, नरेंद्र मोदी ने इतनी बड़ी- बड़ी जनसभाएं कीं, इसके बावजूद अरविंद चुनकर आया, यह मोदी की हार है। निश्चित रूप से इस जनादेश को मिडिया विश्लेषणों में मोदी की हार से जोड़ा और प्रचारित किया जायेगा।

ऐसे तमाम विश्लेषणों से इतर मेरा मानना है की ये मोदी की हार नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल की जीत है। अरविन्द केजरीवाल की इस जीत के कारणों को समझने के लिए बहुत अधिक परिश्राम की जरुरत नहीं है। कारण साफ है – आम आदमी पार्टी द्वारा फैलाया सस्ती और मुफ्त के प्रलोभन का मायाजाल बनाम उदासीन असंगठित और गैरजिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी। प्रत्यक्ष तौर पर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, मोदी के साथ साथ अमित शाह, तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, 24 केंद्रीय मंत्री और 120 सांसद चुनाव प्रचार में लगे हुए थे, लेकिन चुनाव जितने के लिए जो सबसे अहम जरुरत होती है, “कार्यकर्ता” वो इस चुनाव में नदारद थे। कभी श्री अटल विहारी वाजपेयी जी ने कहा था – अगर कार्यकर्ता न हो तो मै नगर निगम का चुनाव भी ना जीत पाऊँ। उनकी बात को आज के नतीजों ने अक्षरशः साबित कर दिया। भाजपा इस चुनाव में जनता से तो दूर थी ही अपने कार्यकर्ताओं से भी पृथक हो गई थी। जहाँ तक मैंने इस चुनाव में जनता को समझने की कोशिश की कोई भी प्रधानमंत्री मोदी से नाराज़ नहीं दिखा, एक बात सामने आ रही थी की बीजेपी अहंकार में आती जा रही है, उसके सामने कोई आवाज नहीं उठा रहा, केजरीवाल ऐसा करने की हिम्मत दिखा रहे है। लेकिन ये इतनी बड़ी बात नहीं थी जिसकी परिणीति आज के चुनाव परिणाम में हुई है। दूसरे दलों से भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल करने/होने की होड़ को भी पसंद नहीं किया जा रहा था। ऐसे तमाम कारक मौजूद थे जिससे भाजपा की पराजय हुई। बहरहाल,

आज के जनादेश से भाजपा की हार के कारणों की समीक्षा से ज्यादा आप की जीत के कारणों को समझने की जरुरत है।

आम आदमी पार्टी का यह कहना पूर्णतः गलत है की यह एक नए किस्म की राजनीती की शुरुआत है। यह उसी पुरानी राजनीती की पराकाष्ठा है जिसमे लोभ और दिवास्वप्न दिखा कर सत्ता हासिल की जाती रही है। यहाँ कांग्रेस की भूमिका की बात करना भी जरुरी है, दिल्ली में लगभग 60 प्रतिशत आबादी उन इलाकों में रहती है जहाँ अभी तक बुनियादी जरूरतों की सुविधाएँ नहीं है। ये इस चुनाव की पृष्टभूमि में कांग्रेस का दिया हुआ विरासत था। आज से 16 साल पहले यही वो मतदाता था जिसने प्याज और नमक की बढ़ी कीमतों पर भाजपा की सरकार गिरा दिया था। इसी दिल्ली से वर्तमान भाजपा सांसद और गायक मनोज तिवारी ने तब एक गीत गाया था “अब का सलाद खाइब पियजिया अनार हो गईल, वाह रे अटल चाचा नीमक पर मार हो गईल”। इस चुनाव में आप के पोस्टरों पर सस्ती गोभी, सस्ती बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त WiFi जैसे तमाम प्रलोभन विज्ञापित किये गए और इन वादों पर जनता का रीझना और इस कदर की लगभग सभी सीटें आम आदमी पार्टी को दे देना यह बताता है की जनता की बुनियादी स्थिति में पिछले 16 सालों में कोई बदलाव नहीं आया है। यह जनादेश यह भी बताता है की सस्ता और मुफ्त के प्रलोभन में आ कर आप को वोट देने वाला झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला या रेहड़ी पटरी लगाने वाला सिर्फ ये वंचित तबका ही नहीं है, बल्कि मेरी आयु वर्ग का वो युवा मतदाता भी है जो सिर्फ पोस्टर पर FREE पढ़ कर दुकान में खरीदारी करने चला जाता है। Bye TWO Get ONE जिसमे तीनों वस्तुओं की कीमत शामिल रहती है, को FREE का ऑफर समझने वाली “कूल डूड” युवा पीढ़ी को मुफ्त WiFi के वादे ज्यादा लुभावने लगे। इस चुनाव में MCD और पुलिस के भ्रष्टाचार का मुद्दा जरूर था, लेकिन सच्चाई यही है की भ्रष्टाचार सिर्फ चुनावी शिगूफा रहा है मुद्दा नहीं, सच तो ये है की भ्रष्टाचार भारतीय लोगों के लिए परेशानी कम सहूलियत ज्यादा रहा है। इसलिए भ्रष्टाचार की बातें तो बहुत होती है लेकिन वोट कभी भी इस मुद्दे पर नहीं दिया गया। अगर सिर्फ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोट मिलता तो पिछले चुनाव में अरविंद केजरीवाल को पूर्ण बहुमत मिलता। क्यूंकि तब आम आदमी पार्टी बनी ही इसी मुद्दे पर और चुनाव भी लड़ी इसी मुद्दे पर, MCD और पुलिस का भ्रष्टाचार तब भी था, लेकिन तब ऐसा नहीं हुआ, इस बार ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि इसमें मुफ्त के माल दिलाने का झाँसा जो केजरीवाल पिछले 49 दिन के कार्यकाल में दिखा गए थे इस बार प्रमुखता से वादे की शक्ल में शामिल था। सस्ती बिजली मुफ्त पानी WiFi ये Bye TWO Get ONE के जैसा ही है जिसमे अंततः कीमत जनता को ही चुकानी है।

अब सवाल ये है की क्या अरविन्द केजरीवाल 2 Minute मैग्गी खाने वाली और इंस्टेंट रिजल्ट की चाहत रखने वाली जनता से किये अपने सारे वादे पुरे कर पाएंगे? और क्या ये वादें इतने व्यवहारिक है जिसे पूरा किया जा सकेगा? लेकिन इससे भी बड़ा प्रश्न ये है की क्या आने वाले दिनों में दिल्ली अर्धराज्य की राजनीती केंद्र की राजनीती का अखाड़ा बनेगी? जिस प्रकार से मोदी विरोधी सभी दलों ने चुनाव से ठीक पहले समर्थन और नतीजे आने के फ़ौरन बाद केजरीवाल का स्वागत और अभिनंदन करते हुए जनादेश को मोदी की हार बताया है, यह साफ बताता है की आने वाले दिनों में केजरीवाल मोदी विरोधी गठबंधन की धुरी बनने जा रहे है। अगर ऐसा होता है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा क्यूंकि ये वही दल है जिन्हे इस देश की जनता ने ख़ारिज कर दिया है और ये वही दल है जिन्होंने गैर जरुरी मुद्दों के ऊपर संसद का पूरा सत्र बर्बाद करा दिया, अगर अरविन्द केजरीवाल इनका प्रतिनिधित्व करते है तो आने वाले दिनों में जबरदस्त टकराव देखने को मिलेगा और पुरे देश को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। दिल्ली की जनता को अरविन्द केजरीवाल से बहुत अपेक्षाएं है, उम्मीद करते है की वो उन अपेक्षाओं को पूरा करने में अपनी ऊर्जा खर्च करेंगे। यही दिल्ली और देश के हित में होगा।

अंत में मैं तहे दिल से चाहूंगा की आम आदमी पार्टी के विषय में मेरी जो राय है उसे अरविन्द केजरीवाल गलत साबित कर दें। अगर ऐसा हुआ तो एक भारतीय होने के नाते मुझे उनपर गर्व होगा।

अरविन्द केजरीवाल सहित पुरे आम आदमी पार्टी को बहुत बहुत शुभकामनायें।

-अंजन कुमार

सपना

Posted: January 27, 2011 in Poetry

Anjan Kumar Poetry

Happy New Year 2011

Posted: January 1, 2011 in Wallpapers

Anjan Kumar New Year Greetings

Merry Christmas

Posted: December 25, 2010 in Wallpapers

Anjan Kumar Christmas Wishes Card

ताना बाना

Posted: November 22, 2010 in Poetry

Anjan Kumar Singh

Anjan Kumar

Anjan Kumar